महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का आदरà¥à¤¶ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• जीवन
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Manmohan Kumar AryaDate
04-Jan-2016Category
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UmeshUpload Date
05-Jan-2016Download PDF
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महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ वैदिक विचारधारा के ऋषि, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, आपà¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¥à¤·, सनà¥à¤¤, महातà¥à¤®à¤¾ सहित देश व समाज के हितैषी अपूरà¥à¤µ महापà¥à¤°à¥à¤· थे। उनका जीवन सारी मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति के लिठआदरà¥à¤¶, पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤•à¤°à¤£à¥€à¤¯ है। आज के लेख में हम उनके जीवन की कà¥à¤› महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• घटनाओं को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि इनके अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व अनà¥à¤•à¤°à¤£ से सà¤à¥€ को लाठहोगा।
पहली घटना हम बरेली में उनके वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ की ले रहे हैं जिसका वरà¥à¤£à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने अपनी आतà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾ ‘कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ मारà¥à¤— के पथिक’ में किया है। बरेली में à¤à¤• दिन सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ दे रहे थे। वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ में नगर के गणमानà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥à¤· और बड़े-बड़े राज-अधिकारी, कमिशà¥à¤¨à¤° आदि सà¤à¥€ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे। वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ में ईसाई मत की मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का खूब खणà¥à¤¡à¤¨ किया गया। दूसरे दिन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ से पूरà¥à¤µ उनसे कहा गया कि आप इतना खणà¥à¤¡à¤¨ न करें, इससे उचà¥à¤š अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारी अपà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होंगे। दूसरे दिन का वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हà¥à¤†à¥¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ में कमिशà¥à¤¨à¤° आदि सà¤à¥€ उचà¥à¤š राजà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने गरज कर कहा-‘‘लोग कहते हैं कि असतà¥à¤¯ का खणà¥à¤¡à¤¨ न कीजिà¤, पर चाहे चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ राजा à¤à¥€ अपà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो जाà¤, परिणाम कà¥à¤› à¤à¥€ हो, हम तो सतà¥à¤¯ ही कहेंगे।” अà¤à¤¯ से पूरà¥à¤£ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के à¤à¤¸à¥‡ जीवन को ही कहते है ईशà¥à¤µà¤° की सतà¥à¤¤à¤¾ और सतà¥à¤¯ पर अटल विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥¤
दूसरी घटना करà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¸ में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ की ले रहे हैं। जब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ यहां आये थे तो अनूपशहर का à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤œà¥à¤ž विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ पं. हीरावलà¥à¤²à¤ अपने कà¥à¤› साथियों के साथ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ के लिठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ के पास आया। सà¤à¤¾ संगठित हà¥à¤ˆà¥¤ पं. हीरावलà¥à¤²à¤ ने बीच में ठाकà¥à¤°à¤œà¥€ का सिंहासन, जिस पर शालिगà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤¦à¤¿ की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ थी, रखकर सà¤à¤¾ में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ की कि मैं सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ से इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥‹à¤— लगवाकर ही उठूंगा। छह दिन तक बराबर धारापà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ होता रहा। सातवें दिन पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ हीरावलà¥à¤²à¤ ने सà¤à¤¾ में पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ कर दिया कि जो कà¥à¤› सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ कहते हैं वही ठीक है और सिंहासन पर वेद की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के सà¤à¥€ उपलबà¥à¤§ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ और पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ‘महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ और पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨’ में उपलबà¥à¤§ हैं। पाठक इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤°à¥à¤§à¤• सामगà¥à¤°à¥€ से लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ हो सकते हैं।
करà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¸ की ही à¤à¤• अनà¥à¤¯ घटना इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° है कि à¤à¤• दिन सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ गंगा तट पर उपदेश कर रहे थे। बरौली के राव करà¥à¤£à¤¸à¤¿à¤‚ह अपने कà¥à¤› हथियार-बनà¥à¤¦ साथियों सहित वहां आठऔर बातचीत करते-करते बड़े कà¥à¤°à¥‹à¤§ में आकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तलवार खींच कर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने तलवार छीनकर दो टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¥‡ कर दिठऔर राव को पकड़कर कहा कि ‘मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ साथ इस समय वही सलूक कर सकता हूं जो किसी ‘‘आततायी” (आतंकवादी) के साथ किया जा सकता है। परनà¥à¤¤à¥ मैं संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ हूं, इसलिठछोड़ता हूं। जाओ, ईशà¥à¤µà¤° तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤®à¤¤à¤¿ देवे।’
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी का जीवन महान था। उनकी महानता à¤à¤• उदाहरण तब सामने आया जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी हतà¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने वाले को न केवल कà¥à¤·à¤®à¤¾ कर दिया अपितॠवैधानिक दणà¥à¤¡ से à¤à¥€ बचाया। यह घटना अनूपशहर की है। वहां सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के सचà¥à¤šà¥‡ और सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ उपदेश से अपà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर à¤à¤• दà¥à¤·à¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¥à¤· ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ के पास आकर नमà¥à¤°à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ à¤à¤• पान का बीड़ा उनको à¤à¥‡à¤‚ट किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने लेकर उसे मà¥à¤‚ह में रख लिया। मà¥à¤‚ह में रखते ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मालूम हो गया कि इसमें विष मिला हà¥à¤† है। योग समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ बसà¥à¤¤à¥€ और नà¥à¤¯à¥Œà¤²à¥€-कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं को करके उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उसके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ को नषà¥à¤Ÿ कर दिया। जब यह हाल वहां के मजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤Ÿ सैयद मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ को मालूम हà¥à¤† तो उसने उस दà¥à¤·à¥à¤Ÿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को पकड़कर हवालात में डाल दिया और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ के पास आकर अपनी कारगà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करने आया तो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने अपनी अपà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करके उसे छà¥à¤¡à¤¼à¤µà¤¾ दिया और कहा कि ‘‘मैं दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कैद कराने नहीं अपितॠकैद से छà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤¨à¥‡ आया हूं।”
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ जब उदयपà¥à¤° में थे तब वहां à¤à¤• दिन उदयपà¥à¤° के महाराजा महाराणा सजà¥à¤œà¤¨à¤¸à¤¿à¤‚ह जी को मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ का पाठपढ़ाते हà¥à¤ कहा कि--‘‘यदि कोई अधिकारी धरà¥à¤®à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• आजà¥à¤žà¤¾ दे तà¤à¥€ उसका पालन करना चाहिà¤à¥¤ अधरà¥à¤® की बात न माननी चाहिà¤à¥¤” इस पर सरदारगढ़ के ठाकà¥à¤° मोहनसिंह जी ने कहा कि महाराणा हमारे राजा हैं, यदि इनकी कोई बात हम अधरà¥à¤®à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ बतलाकर न मानें तो ये हमारा राज छीन लेंगे। इस पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने कहा कि -‘‘धरà¥à¤®à¤¹à¥€à¤¨ हो जाने से और अधरà¥à¤® के काम करके अनà¥à¤¨ खाने से तो à¤à¥€à¤– मांगकर पेट का पालन करना अचà¥à¤›à¤¾ है।” इस घटना में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने उदयपà¥à¤° के महाराजा के à¤à¤¯ से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ शूनà¥à¤¯ होकर धरà¥à¤® को सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ महतà¥à¤µ दिया। इससे यह à¤à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ मिलती है कि किसी à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपने आशà¥à¤°à¤¯à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं व उचà¥à¤šà¤¤à¤® अधिकारियों की धरà¥à¤® विरà¥à¤¦à¥à¤§ आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं को न मानना चाहिये à¤à¤²à¥‡ ही इससे उनकी कितनी à¤à¥€ हानि कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो।
उदयपà¥à¤° की ही à¤à¤• अनà¥à¤¯ घटना है। वहां à¤à¤• दिन à¤à¤•à¤¾à¤¨à¥à¤¤ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ से महाराजा सजà¥à¤œà¤¨à¤¸à¤¿à¤‚ह जी ने कहा कि महाराज ! आप मà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा का खणà¥à¤¡à¤¨ करना छोड़ दें। यदि आप इसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लें तो à¤à¤• लिंग महादेव के मनà¥à¤¦à¤¿à¤°, जिसके साथ लाखों रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की जायदाद लगी हà¥à¤ˆ है, आपकी होगी, और आप सारे राजà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¥ माने जाà¤à¤‚गे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने उतà¥à¤¤à¤° दिया--‘‘आपके सारे राजà¥à¤¯ से मैं à¤à¤• दौड़ लगाकर कà¥à¤› समय में बाहर जा सकता हूं परनà¥à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤° के संसार से दूर नहीं जा सकता, फिर मैं किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° इस धरà¥à¤®à¤µà¤¿à¤°à¥à¤¦à¥à¤§ तà¥à¤šà¥à¤› पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ में आकर ईशà¥à¤µà¤° की आजà¥à¤žà¤¾ à¤à¤‚ग करूं।” यह है ईशà¥à¤µà¤°, उसकी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ व धरà¥à¤® में पूरà¥à¤£ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ और सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ से रहित सचà¥à¤šà¥‡ तà¥à¤¯à¤¾à¤— का उदाहरण।
पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— की à¤à¤• घटना है। à¤à¤• दिन सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ à¤à¤• सà¤à¤¾ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे। पं. सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤²à¤¾à¤²à¤œà¥€ आदि कà¥à¤› सà¤à¥à¤¯ पà¥à¤°à¥à¤· à¤à¥€ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ यकायक हंस पड़े। कारण पूछने पर बतलाया कि à¤à¤• पà¥à¤°à¥à¤· मेरे पास आ रहा है, उसके आने पर à¤à¤• कौतà¥à¤• दिखाई देगा। थोड़़ी देर बाद à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ के लिठकà¥à¤› विष मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ मिठाई लाकर कहने लगा कि महाराज इसमें से कà¥à¤› à¤à¥‹à¤— लगाà¤à¤‚। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने थोड़ी सी मिठाई उठाकर लानेवाले को दी, उसे कहा कि इसे तà¥à¤® खाओ, परनà¥à¤¤à¥ उसने मिठाने लेने और खाने से इनà¥à¤•à¤¾à¤° कर दिया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ इस पर हंस पड़े और पं. सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤²à¤¾à¤²à¤œà¥€ आदि पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ से कहा कि देखों यह अपने पाप के कारण सà¥à¤µà¤¯à¤‚ कांप रहा है और लजà¥à¤œà¤¿à¤¤ है। इसे परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ दणà¥à¤¡ मिल गया है अब और दणà¥à¤¡ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं। यह थी सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी की योग व ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ की शकà¥à¤¤à¤¿ और दयालà¥à¤¤à¤¾à¥¤
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ की मृतà¥à¤¯à¥ जोधपà¥à¤° में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विष दिये जाने के कारण हà¥à¤ˆ थी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ जोधपà¥à¤° के महाराजा जसवनà¥à¤¤ सिंह के छोटे à¤à¤¾à¤ˆ कà¥à¤‚वर पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª सिंह व महाराजा के निमंतà¥à¤°à¤£ पर पधारे थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ में राजाओं के दà¥à¤µà¥à¤°à¥à¤¯à¤¸à¤¨à¥‹à¤‚ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ राजाओं की वेशà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में आसकà¥à¤¤à¤¿ वा वैशà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ का तीवà¥à¤° खणà¥à¤¡à¤¨ किया था। अपनी शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं में उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ वैशà¥à¤¯à¤¾à¤“ं की उपमा कà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ से और राजाओं की उपमा शेर से दी थी। मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की मिथà¥à¤¯à¤¾ बातों का खणà¥à¤¡à¤¨ तो वह करते ही थे। अतः à¤à¤• षडयनà¥à¤¤à¥à¤° के अंतरà¥à¤—त उनके विरोधियों ने उनके पाचक को अपने वश में करके उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ को सितमà¥à¤¬à¤°, 1883 के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ की à¤à¤• रातà¥à¤°à¤¿ को दूध में जहर डलवाकर पिलवा दिया था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ को इसका पता देर रातà¥à¤°à¤¿ तब चला जब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उदरशूल, दसà¥à¤¤ होने के साथ वमन आदि की शिकायत हà¥à¤ˆà¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ को सारी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का पता चल जाने पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पाचक को पास बà¥à¤²à¤¾à¤•à¤° उसे कà¥à¤› रूपये देते हà¥à¤ कहा कि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लेकर नेपाल के राजà¥à¤¯ आदि किसी à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर चले जाओ जहां तà¥à¤à¥‡ पकड़ा न जा सके और तà¥à¤à¥‡ अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£ न खोने पड़ें। अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¹à¤‚ता की इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° रकà¥à¤·à¤¾ कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इतिहास में à¤à¤• अनà¥à¤ªà¤® उदाहरण पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है। à¤à¤¸à¤¾ उदाहरण विशà¥à¤µ इतिहास में दà¥à¤°à¥à¤²à¤ है।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने पूना में अपने जीवन की घटनाओं विषयक à¤à¤• उपदेश दिया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने थियोसोफिकल सोसायटी के निवेदन पर अपनी संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ आतà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾ à¤à¥€ लिखी थी। उनकी मृतà¥à¤¯à¥ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ उनके अनेक खोजपà¥à¤° जीवन चरितà¥à¤° पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में आये जिनमें पं. लेखराम, पं. गोपालराव हरि, पं. देवेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ मà¥à¤–ोपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, मासà¥à¤Ÿà¤° लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ आरà¥à¤¯, शà¥à¤°à¥€ हरविलास सारदा, शà¥à¤°à¥€ रामविलास शारदा आदि पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं। यह सà¤à¥€ जीवनचरित रामायण à¤à¤µà¤‚ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ की ही à¤à¤¾à¤‚ति आदरà¥à¤¶, पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• तथा पाठक में धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनà¥à¤°à¤¾à¤— व बोध उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने में समरà¥à¤¥ हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पढ़कर à¤à¤• दसà¥à¤¯à¥ वृतà¥à¤¤à¤¿ का मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ साधू बन सकता है और सचà¥à¤šà¤¾ मानव जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर सकता है। पाठकों को इन जीवन चरितों से लाठउठाना चाहिये। आशा है कि पाठक लेख को पसनà¥à¤¦ करेंगे।
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